What is Deep Fake Technology and Where it is used?

Biometric technology digital Face Scanning form lines, triangles and particle style design
  • डीप फेक टेक्नोलॉजी क्या होती है ?

  • डीप फेक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कहां किया जाता है?

  • डीप फेक को कैसे पहचान सकते हैं?

  • डीपफेक का समाज पर क्या प्रभाव पड़ता है?

  • भारत में इस टेक्नोलॉजी को लेकर किस तरह के प्रयास किया जा रहे हैं किस तरह के नियम कानून मौजूद हैं?

Biometric technology digital Face Scanning form lines, triangles and particle style design

डीप फेक टेक्नोलॉजी “Machine Learning” का एक पार्ट है।
आपको बता दू की “Deep Fake” कोई नयी टेक्नोलॉजी नहीं है बल्कि इंटरनेट का इस्तेमाल बढ़ने और AI टूल का उपयोग अधिक होने के बाद डीप फेक के वीडियोस तेजी से सामने आ रहे है।
Deep Fake photos और Deep Fake videos के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल किया जाता है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टेक्नोलॉजी बहुत तेजी से आगे बढ़ रही है जो कि दिन भर दिन सबके लिए एक खतरा बनती जा रही है।
“Deep Fake video ” को AI(Artificial intelligence) इस तरह से क्रिएट करता है कि इसे पहचान पाना आम लोगो के लिए बेहद मुश्किल है।
Deep Fake Technology का उपयोग करके काफी सारे फेक कंटेंट को असली कंटेंट की तरह दिखाया जाता है।
यहाँ में आपको बता दू कि Deefake Video दो नेटवर्क की मदद से तैयार होता है इसमें एक को पार्ट इनकोडर कहते है जबकि दूसरा पार्ट को डीकोडर कहा जाता है।
इनकोडर का उपयोग असली कंटेंट को अच्छी तरह से रीड करने के लिए किया जाता है जब की डिकोडर बनाये गए फेक वीडियो को नेटवर्क में ट्रांसफर कर देता है, इसके बाद आपको एक ऐसा वीडियो तैयार होकर मिल जाता है जिसमें चेहरा तो बदला हुआ होता है लेकिन वीडियो और फोटो किसी और का होता है।

1. डीप फेक टेक्नोलॉजी क्या होती है?
डीपफेक शब्द “Deep Learning” और “Fake” वर्ड से बना है।
डीपफेक शब्द पहली बार 2017 के अंत में एक “Reddit”यूजर द्वारा बनाया गया था जिसमें उसने खुद को डीपफेक बताया था।
इस यूज़र ने अश्लील वीडियो पर मशहूर हस्तियों के चेहरे को सुपर इंपोज करने के लिए डीप लर्निंग तकनीक का इस्तेमाल किया था।
इस तकनीक का उपयोग सेलिब्रिटी पोर्नोग्राफी में और वित्तीय धोखाधड़ी में किया जा रहा है।

DeepFake एक मॉडर्न टेक्नोलॉजी है जिसके माध्यम से आप मुख्य तौर पर वीडियो को,किसी तस्वीर को,और ऑडियो को अपने लिहाज से बदल सकते हैं।
आप उसमें बदलाव कर सकते हैं तो बदलाव करने का जो मेथड है उसे मेथड को Deep Fake टेक्नोलॉजी कहा जाता है।
डीप फेक टेक्नोलॉजी में वीडियो और फोटोस बनाने के लिए बहुत पावरफुल कंप्यूटर का उसे किया जाता है जो बहुत शक्तिशाली कंप्यूटर होते हैं।




2.डीप फेक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कहां किया जाता है?
डीप फेक टेक्नोलॉजी का उपयोग ज़्यादातर फेक न्यूज़ और धोखाधड़ी के लिए उसे किया जाता है।
किसी व्यक्ति के साथ वित्तीय धोखा करने के लिए भी डीप फेक टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जाता है,और डीप फेक टेक्नोलॉजी का उपयोग ज्यादातर सेलिब्रिटीज और राजनीतिक हस्तियां की छवि को खराब करने के लिए भी आजकल किया जा रहा है।
इस टेक्नोलॉजी के जरिए आप किसी भी व्यक्ति की छवि को खराब कर सकते हैं जहां इसके कई नुकसान है वहां इसके कुछ फायदे भी है।
सकारात्मक प्रयोग की अगर बात करें तो जो ऐतिहासिक शख्सियत होती है जो हिस्टोरिकल लोग हैं उनकी बहुत सारी तस्वीरें हमारे पास मौजूद नहीं है,लेकिन डीप फेक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हुए उनकी बहुत सारी तस्वीर बनाई जा सकती है तो यह एक इसका सकारात्मक पहलू है।

3.डीप फेक को कैसे पहचान सकते हैं?
सबसे पहले अगर हम बात करें तो आप मोमेंट को देखेंगे,अगर आप कोई वीडियो देख रहे है, तो उसमे पहले आपको आंखों की जो गति है उस पर ध्यान देना होगा क्योंकि जब आप प्राकृतिक रूप की बात करते हैं नेचुरल मूवमेंट की बात करते हैं तो उसकी आंखों में मुख्य तौर पर एक सुचारू गति देखने को मिलती है और उसकी आंखों और उसकी जो वॉइस है इसके अलावा वीडियो में उसकी जो एक्टिविटीज है,जो एक्शंस है उनके बीच एक कोऑर्डिनेशन होता है,एक समन्वय होता है लेकिन जब हम डीप फेक की बात करते हैं तो डीप फेक में आपको अप्राकृतिक आंखों का जो मूवमेंट है वह देखने को मिलेगा अननेचुरल मोमेंट होगा आपकी जो वॉइस है और आपके जो काम है उसके बीच कोआर्डिनेशन ज्यादा देखने को नहीं मिलेगा।
इसके अलावा जो कलर होता है इसके अलावा जो लाइटिंग होती है जिसे हम कॉन्ट्रैक्ट्स भी कहेते है वह भी थोड़ी अलग होती है क्योंकि डीप फेक में सटीक रंग प्राप्त करना सटीक लाइट प्राप्त करना कंपेरटिवली थोड़ा मुश्किल होता है,इसे थोड़ा चुनौतीपूर्ण माना जाता है, तो आप इसके माध्यम से अगर किसी तस्वीर का कोई हिस्सा थोड़ा सा अलग है उसकी लाइट थोड़ी सी अलग है उसका रंग थोड़ा सा अलग है तो इसके माध्यम से भी आप किसी तस्वीर से पहचान सकते हैं।
इसके अलावा आवाज की गुणवत्ता के आधार पर भी आप पहचान सकते हैं क्योंकि अक्सर डीपफेक टेक्नोलॉजी से बनी जो वीडियो होती है उसमें AI(Artifical Intelligence)वॉइस का इस्तेमाल किया जाता है और AI की वॉइस नेचुरल वॉइस से थोड़ी सी अलग होती है तो अगर आप थोड़ा सा ध्यान दें उसे आवाज पर तो आप आवाज को भी आसानी से पहचान सकते हैं।




4.डीपफेक का समाज पर क्या प्रभाव पड़ता है?
डीप फेक न केवल लोगों को गलत तरीके से पेश करने का काम करता है बल्कि प्रमाणिक मीडिया के बारे में झूठ का दावा भी करता है और लोगों को अपने सही कार्यों को गलत तरीके से पेश करने का अवसर भी प्रदान करते हैं।
डीप फेक वीडियो के आधार पर इंटरनेट पर लोग जो भी कंटेंट देखते है वह उसे स्पष्ट रूप से नहीं बता सकते कि वह वीडियो झूठ है या सही, उस कंटेंट की प्रमाणिकता खोजना बहुत कठिन होता है।
डीपफेक से बनाए गए कंटेंट वीडियो को सही है या गलत बताना बहुत मुश्किल होता है क्योंकि वह वीडियो या कंटेंट लगभग सही के जैसा ही दिखता है जबकि ऐसा होता नहीं।

5.भारत में इस टेक्नोलॉजी को लेकर किस तरह के प्रयास किया जा रहे हैं किस तरह के नियम कानून मौजूद हैं?
भारत में डीपफेक टेक्नोलॉजी को लेकर फिलहाल में कोई भी स्पष्ट नियम या कानून मौजूद नहीं है। लेकिन कुछ क़ानून भारत में पहले से ही मौजूद है जो इस डीप फेक टेक्नोलॉजी बढ़ने से रोकने में सक्षम है।




मैं यहां आपको डीपफेक का एक रियल टाइम एग्जांपल देने जा रहा हूं और जिनका एग्जांपल में यहां देने जा रहा हूं उन्हें आप अच्छे से जानते ही होंगे।
हाल ही में डीपफेक तकनीक का उपयोग करके एक अभिनेत्री का आपत्तिजनक वीडियो इंटरनेट पर शेयर किया गया इसके चलते इस तकनीक के उपयोग व इससे उत्पन्न खतरों के बारे में चर्चा तेज हो गई।
इस वीडियो के आने के बाद ऑनलाइन सुरक्षा खासकर महिलाओं की सुरक्षा को लेकर चिंताएं उत्पन्न हो गई है।

हाल ही में साउथ की फेमस एक्ट्रेस “Rashmika Mandanna” का डीप फेक वीडियो बनाया गया जिससे सोशल मीडिया पर जमकर वायरल किया गया.
इस वीडियो में जिस लड़की के चहरे पर रश्मिका का चेहरा बनाया गया डीप फेक की मदद से वो एक “Instagram influencer” जारा पटेल का है।
रश्मिका मंडाना के फ्रेंड्स इस वीडियो को लेकर काफी नाराज़गी जाहिर कर रहे हैं और अमिताभ बच्चन ने भी इस वीडियो को देखने के बाद जिसने यह वीडियो बनाया उन पर लीगल एक्शन की डिमांड की है और डीपफेक टेक्नोलॉजी को महिलाओं के लिए खतरा बताया।
आप नीचे दिए गए वीडियो के लिंक पर क्लिक करके रश्मिका मंदांना का डीपफेक वीडियो देख सकते हैं.

अगर आप खुद से डीपफेक से बनाए गए किसी फोटो और वीडियो को नहीं पहचान पा रहे हैं तो आप AI Tools की भी मदद ले सकते हैं।
मार्केट में इसे कई ए टूल उपलब्ध है जो आसानी से AI जेनरेटेड वीडियो को पकड़ लेते हैं आप इन्हें पहचानने के लिए उनकी मदद ले सकते हैं।
अगर आपको मेरा यह कंटेंट पसंद आया है और अगर आपके मन में किसी भी प्रकार का कोई सवाल है डीपफेक से रिलेटेड तो आप मुझे कमेंट में पूछ सकते हैं।
और डीप फेक टेक्नोलॉजी के बारे में आपकी क्या राय है कृपया कमेंट में जरूर बताये।
आपका कीमती समय देने के लिए धन्यवाद।

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